Friday, December 10, 2010

व्यक्तित्व


व्यक्तित्व
अगर आप अपने व्यक्तित्व को कायम रखना चाहते हों, अगर आप चाहते हों कि आपकी गरिमा गिरे नहीं, आप जहाँ हैं, वह स्थिति सदा बनी रहे, बल्कि उसमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे, प्रगति और उन्नति होती रहे, तो आप ऐसा काम कदापि न करें जिससे आपके आत्मसम्मान को हानि पहुँचती हो, बाद में क्षतिपूर्ति नामुमकिन हो, आत्मग्लानि का शिकार होना पड़े, करते वक्त आपकी आत्मा नकारती हो ।
कुछ काम ऐसे होते हैं जिनकी पश्चात्पूर्ति असम्भव होती है । ऐसे हानिकारक दुरूह दुष्कर्मों या दुर्विचारों को अपनी पैनी दृष्टि, सूझबूझ, सद्विवेक व निष्पक्ष समीक्षा द्वारा पहचानें और उनसे सदा सावधान रहें । ध्यान रहे, विचार आगे चलकर क्रिया रूप में परिणत होते हैं और उसी से आपका व्यक्तित्व निर्धारित होता है । अतः परिमार्जन-परिष्करण का शुभारम्भ विचारों के धरातल से ही करें । लक्ष्य निश्चित रहे, प्रयास में आलस्य का घुसपैठ न हो पाए, दिमाग में खोजी प्रवृत्ति सदा सक्रिय रहे, तो मंजिल की ओर कदम निश्चय ही बढ़ते चले जायेंगे । आश्शा और पुरुषार्थ का पौध सूखने न पाए, इसका ख्याल रहे । बाधाओं से पैर लड़खड़ा न जाएँ, ऐसी हिम्मत और दृढ़ता बनी रहे । सफलता की अपेक्षा ध्यान लक्ष्य की ओर रहे । अगर ऐसा हो पाए तो आपकी गरिमा सदा कायम रहेगी । ईश्वर करे, आपका कदम मंजिल की ओर बढ़ते चले जाएँ । आपका, सबका सब भाँति हित हो । सब सुखी रहें, सबको उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति हो, सब लोग अच्छे कर्मों में प्रवृत्त रहें, ऐसी ईश्वर से प्रार्थना और हमारी ओर से शुभकामना ।
                                                             -धीरेन्द्र

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