कोई दिल बदलते तो कोई दल बदलते हैं ।
व्यर्थ ही दिल-दल के दलदल में उलझते हैं ।
बदलते-बदलते बदलने वाले बदल जाते हैं,
पर जो बदलने चाहिए, बिनबदले रह जाते हैं ।
अरे बदलने वालो! वह साँचा तो बनाओ, जिसमें-
बदलाव भी बदलता, बदलने वाले भी बदलते हैं ।
- धीरेन्द्र
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